Thursday, 26 December 2019

पहले तुम बताओ

साभार इंटरनेट
कौन हो तुम!
रहनुमाई के मेरे उम्मीदवारों?
कौन हो तुम
देश का अपने
मुझे कह, मुझपे कृत्रिम भावनाएं लादने वालों?
तुम बताओ
कौन हो तुम?
'मेरे तुम!'
'हमारे तुम!'
मुझसे कब पूछा कि
हो सकता तुम्हारा हूँ?

तुमने मुझको कब कराया
है कोई अनुभव
कि तुम हो मानते अस्तित्व मेरा है जरा भी?
मौन मेरा, विश्व!
तुमने वाक्य माना ही नहीं,
यह तुम्हारी राज्यवादी लालसा है
या मेरी स्वच्छन्दता का अपहरण!
तुम बताओ
मैं तुम्हारे देश के भूगोल में
उग गया तो क्या मेरा यह था चयन?

तुम बताओ
क्या तुम्हारी मांग का उत्पाद हूँ मैं?
तुम बताओ
ये जो सीमाएं बनाई हैं सभी ने घेरकर
धरती के काग़ज़ पर
तो इसकी अनुमति ली थी
कि मेरे भाग की धरती को भी
अपने में शामिल कर लिया तुमने?
मेरे हिस्से के पानी-फूल-सूरज-वायु-नदियां-पेड़-पौधे
कब बताओ मैंने तुमको
राज्य में अपने मिलाने को कहा था?

मेरी रातें-दिन-दोपहरी-शाम की चर्या
तुम्हारी नीतियों से तय न होगी,
यह भी तुमने था सुना क्या?
तुमने क्यों बांधा मेरी आँखों को
कुछ रंगों के परचम से?

तुम बताओ
तुम जिसे अपनी जमीं-अपना वतन कह
गर्व से फूले नहीं समाते
उसमें कितनों के निजी राष्ट्रीय
स्वाभिमान के धड़ से अलग हैं शीश?
तुम बताओ विश्व में,
यह जो तुम्हारा विश्व है, उसमें
मेरे देश का अस्तित्व क्या है?
इसमें मेरे देश का भूगोल क्या है?
तुम बताओ
इसमें मेरा देश
मेरा 'मैं' कहाँ है?

तुम बताओ
मैंने तुम्हारे 'देश' को अपना बनाने के लिए
कब कहा था?
या कहा भी था तो वह काग़ज़ कहाँ है?
पहले
तुम
यह
बताओ?

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