भगवा
सूरज लाल है
शरम से
दिए की रोशनी मुंह छिपा रही है
पराजित होकर।
दादी से नजरें नहीं मिला पा रहे
उनके भगवांबर ठाकुर।
कि जबसे हमने कहा है
कि तुम क्या दोगे हमें प्रकाश
जो बचा पाए नहीं अपना रंग
कुछ डकैतों के लूटने से
जो बांट रहे हैं अंधेरे उन्हें,
जिन्होंने पहले भी ठीक से उजाला नहीं देखा।
देव, दिवाकर और दीवा
अपने वस्त्रों का रंग बदल सकते हो
तो बदल डालो,
कि इससे
इज्जत बच जाएगी तुम्हारी।
सूरज लाल है
शरम से
दिए की रोशनी मुंह छिपा रही है
पराजित होकर।
दादी से नजरें नहीं मिला पा रहे
उनके भगवांबर ठाकुर।
कि जबसे हमने कहा है
कि तुम क्या दोगे हमें प्रकाश
जो बचा पाए नहीं अपना रंग
कुछ डकैतों के लूटने से
जो बांट रहे हैं अंधेरे उन्हें,
जिन्होंने पहले भी ठीक से उजाला नहीं देखा।
देव, दिवाकर और दीवा
अपने वस्त्रों का रंग बदल सकते हो
तो बदल डालो,
कि इससे
इज्जत बच जाएगी तुम्हारी।
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