Saturday, 20 May 2017

असुर केवल यज्ञ रोकते नहीं थे जनाब!

pic courtesy: Naren Singh Rao's Facebook Wall
ठीक है! जीत गये आप लोग। आसुरी शक्तियां आपको हरा नहीं पायीं। 'प्रतिष्ठित ब्रांड' आईआईएमसी में यज्ञ संपन्न हो गया। लेकिन निवेदन है आपसे कि जीत के जश्न से समय निकालकर एक बार विरोध के आवाज की गलियों में झांककर सुनिएगा ज़रूर कि विरोध के सेंटेंस में यज्ञ का विरोध था कि यज्ञ के पीछे की 'मंशा' पर।

असुर केवल यज्ञ रोकते नहीं थे जनाब!असुर यज्ञ करते भी थे। सुर-असुर के यज्ञों के प्रयोजन में अंतर होता था और इसीलिए आवश्यकतानुसार दोनों के अनुचित यज्ञों को रोकने का काम उस दौर के जागरूक लोगों की जिम्मेदारी थी। ग़लत यज्ञ का साथ देने वाले भी असुर ही होते हैं।

सोचिए ज़रा! मेघनाद के यज्ञ को हनुमान ने न रोका होता, बलि का यज्ञ बामन ने सम्पूर्ण हो जाने दिया होता, परीक्षित के यज्ञ को देवताओं ने अनुनय विनय से बन्द न कराया होता तो मानव सभ्यता और धरातलीय संतुलन के इतिहास का भूगोल कैसा होता! यज्ञ के पीछे की मंशा यज्ञ की पवित्रता-अपवित्रता को निर्धारित करती है और यह भी कि उसे रोकने वाला सुर है या असुर।

आज के दौर में हिंदुस्तान का संविधान ही सर्वोपरि धर्मग्रन्थ है जिस पर आधारित है 125 करोड़ इंसानों की ज़िन्दगी। इसकी सारी नीतियां, इसके सारे नियम,इसके सारे प्रावधान इस युग के देवताओं के लिए कर्म और कर्तव्य के आदेशपत्र हैं। इसके खिलाफ जाने वाला ठीक उसी तरह से असुर है जैसे विधि के बनाये सारे विधानों को चुनौती देने वाला रावण और हिरण्यकश्यप।

संविधान स्टेट को पंथनिरपेक्ष कहता है। स्टेट किसी भी ऐसे काम में इन्वॉल्व नहीं हो सकता जो किसी धर्मविशेष का प्रतिनिधि हो। व्यक्तिगत स्तर पर इसकी पूरी स्वतंत्रता है। कृष्ण गोपाल सुरेश आईआईएमसी नहीं हैं इसलिए आईआईएमसी व्यक्तिगत नहीं है। आईआईएमसी हिंदुस्तान के असंख्य बहुपंथी जनता के करों के ईंधन से चलने वाला एक सरकारी संस्थान है। इसलिए डीजी के जी सुरेश सरकारी मुलाज़िम हैं।अगर वो संविधान के खिलाफ इसलिए जाने की हिम्मत दिखा रहे हैं कि उन्हीं के संस्थान के कुछ प्रह्लादों ने उनकी स्तुति गाने से इंकार कर दिया था तो वो माने चाहे न माने के जी सुरेश हिरण्यकश्यप हैं।

वो एक बात और गाँठ लें आज मंच से जिस संस्कृति की दुहाई देकर खिलखिलाते हुए उन्होंने बाहर विरोध कर रहे लोगों को असुर घोषित किया है न उसी संस्कृति के इतिहास के पन्ने-पन्ने पर लिखा है कि अनीति और अहंकार किसी का नहीं रहता। बाकी जिन लोगों का फेसबुक whatsapp कल्लूरी और आईआईएमसी में यज्ञ को लेकर चुप्पी साधे था और आज प्रोटेस्ट करने वालों पर तंज कसने के लिए खुला है वो खुद
डिसाइड करें कि वो क्या हैं।

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