Monday 19 September 2016

सफ़र के धार



"सफ़र के धार की रखने सदा कायम रवानी को।
पुराने पृष्ठ पर रचने चले नूतन कहानी को।
इलाहाबाद की यादों के मेले दिल में लेकर हम,
चले हैं आज़माने भाग्य अपना राजधानी को।"
--राघवेंद्र शुक्ल 

बनारसः वहीं और उसी तरह

फोटोः शिवांक बनारस की चारों तरफ की सीमाएं गिनाकर अष्टभुजा शुक्ल अपनी एक कविता में कहते हैं कि चाहे जिस तरफ से आओ, लहरतारा, मडुआडीह, इलाहाबा...