Monday 29 January 2018

कविताः पीड़ा की प्रतिक्रिया पीर की तीव्रता का मात्रक होती है

विस्फोट

हमारी बात
('मुद्दा' किसी धोखे सा लगता है)
और प्रतिरोध के स्लोगन
कुछेक पत्थर-शब्दों से बनें तो बात बने।
छोटे-मोटे ढेले और ठिप्पियां
लड़ाई में भर देती हैं खोखलापन,
ठीक वैसे ही, जैसे
अधजल गगरी में भर देता है
खोखलापन, उसका छलकना।
ठीक वैसे ही जैसे
खोल देता है ढोल के खोखलेपन की पोल
उसका जरा सी थाप पर धमक उठना।
पीड़ा की प्रतिक्रिया
पीर की तीव्रता का मात्रक होती है इसलिए
हमारी बात
('मुद्दा' किसी धोखे सा लगता है)
और प्रतिरोध के स्लोगन
छोटे ही हों
लेकिन किसी हैंड ग्रेनेड की तरह हों।
कि जिनके खोखलेपन के भ्रम की धज्जियां उड़ा दे,
उनका विस्फोट।

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